कांग्रेस से हरियाणा में वाल्मीकि समुदाय से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने की मांग मैंने क्यों की?
मैंने इसलिए लिखा था कि कांग्रेस हरियाणा में वाल्मीकि समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करें, क्योंकि वर्गीकरण पर चुप्पी से कांग्रेस ने कोर्ट के फैसले का समर्थन किया। पर समर्थन के लिए साक्ष्य भी जरूरी है। वहीं कांग्रेस के समर्थन करने के बाद भी जाटव, एक तरफ तो फैसले का विरोध कर रहे हैं और दूसरी तरफ हरियाणा और दिल्ली में कांग्रेस का रुख ले रहे हैं। कोर्ट के फैसले पर चुप्पी रख कर कांग्रेस वाल्मीकि समुदाय को भी खुश रखना चाहती है। कांग्रेस सिर्फ मलाई खाना चाहती है पर नेतृत्व, जिससे सही बदलाव होगा, वह अपने पास ही रखना चाहती है। उधर बीजेपी के आदेश पर ही कोर्ट ने वर्गीकरण का फैसला दिया है जो पिछले चुनावों में दलितों की मिलकर वोटिंग करने का परिणाम है। ठीक है, वर्गीकरण होना चाहिए। पर फिर साथ ही बीजेपी यह आश्वासन भी दे रही है संविधान में संशोधन करके आज और भविष्य में भी वर्गीकरण निरस्त करेगी। बीएसपी तो दोनों पार्टियों से हाथ मिला लेती है और उसकी नजर खुरचन पर रहती है। ऐसे ही यह पार्टियां पूरे देश के लोगों को मेनयूपुलेट करके पूंजीपतियों की सत्ता कायम करती हैं जो किसी को कुछ देना नहीं चाहते। इस पूरी समसया की जड़ है कि हम मिल कर बातों की समीक्षा नहीं करते। हमें आपस में संवाद स्थापित करना चहिए। विद्वानों को पढ़ना चाहिए। दिमाग को दूषित करने वाली मीडिया से दूर रहना चाहिए। और सबसे महत्वपूर्ण कि अपने में मनुष्यता जगानी चाहिए।
अंततः जिनको यह लगता है कि यह मांग बीजेपी से क्यों नहीं की? तो यह इसलिए है, कि बीजेपी ने तो वर्गीकरण करवा दिया। कांग्रेस ने अपना पक्ष साफ नहीं किया, मतलब कि विरोध अपनी चुप्पी से स्पष्ट किया है। फिर वह क्यों वाल्मीकि समुदाय को मोबलाइज कर रही है। वह किस मूंह से समुदाय को मोबलाइज कर रहे हैं? और जिनको यह लगता है कि कांग्रेस नेता और पद देती है, तो मैं समस्त दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग की तरफ से यही कहूंगा कि हमें सत्ता के वे पद दें जहां से हम अपना भला कर सकें और हम बाकी लोगों को भी पद देंगे और काम भी करेंगे।
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