बाबा साहिब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की अमरकथा Babasaheb Dr. Bhimrao Ambedkar Ji ki Amar Katha

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पुस्तक की विषय सूची

बाबा साहिब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी का परिवार
बाबा साहिब जी की माता का जीवन प्रयाण (आकाल मृत्यु)
बाबा साहिब जी का बालपन
क्रन्तिकारी बालक भीम
बाबा साहिब जी की संघर्ष यात्रा
बाबा साहिब जी की पत्नी रमाबाई जी का निधन
बाबा साहिब जी की विदेश में शिक्षा
शिक्षित बाबा साहिब जी का भारत में अपमान
बाबा साहिब जी का शिक्षा में योगदान
बाबा साहिब जी ने अछूतों को पहली बार विदेश पढ़ने भेजा
बाबा साहिब जी का महिलाओं को सन्देश : खूब पढ़े और मृत पशु का भोजन न खाएं
बाबा साहिब जी का सन्देश : अपने माँ-बाप को कभी नहीं भूलना
बाबा साहिब जी की घोषणा : मैं हिन्दू पैदा हुआ हूँ पर हिन्दू नहीं मरूँगा
बाबा साहिब जी का बौद्ध धम्म की और रुझान
अछूतों को वाल्मीकि, आर्य समाजी बनाना – बामनों के षडयंत्र
बाबा साहिब जी का सन्देश : जाति और उपनाम को न बदलें और न छुपाएं
बाबा साहिब जी का सन्देश : व्यक्ति की पूजा से सिद्धान्तों का विनाश  नाश हो जाता है
बाबा साहिब जी ने कहा : मुझे भूतों से डर नहीं लगता
बाबा साहिब जी का मिशनरियों को सन्देश : पहले पेट पूजा, बाद में समाज का काम
बाबा साहिब जी का सन्देश – हमारे लोग बौद्धों की दान देने की प्रवति अपनाएं
बाबा साहिब जी का सन्देश : सफाई करने का गंदा काम छोड़ो
बाबा साहिब जी का सन्देश : अच्छी वेशभूषा रखें
बाबा साहिब जी की धम्म दीक्षा
बाबा साहिब जी का बौद्धों को सन्देश
बाबा साहिब जी का सन्देश : इंकलाब का अर्थ मानव की समानता
बाबा साहिब जी का अंतिम दिन
बाबा साहिब जी की धरोहर

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पुस्तक का प्राक्कथन – मैं कई वर्षों से बाबा साहिब जी पर एक पुस्तक लिखना चाह रहा था। बहुत से लोगों ने मुझसे कहा भी कि बच्चों के लिए कोई पुस्तक होनी चाहिए। बाबा साहिब जी का जीवन और सन्देश लोगों तक पहुंचाने के लिए ऐसी प्रचार पुस्तिका का बनाना एक जटिल कार्य है जो कि बच्चों और वयस्कों, दोनों के लिए हो और जिसमें बाबा साहिब जी के मूल संदेशों का भी संग्रह हो। हालाँकि, मैंने जो पुस्तक लिखी वह कई अधिक पृष्ठों की बन गई। चूँकि पुस्तक की कीमत भी कम रखना आवश्यक था जिससे कि अधिक-से-अधिक लोगों तक बाबा साहिब जी का संदेश पहुँचाया जा सके, इसलिए मुझे यह लघु पुस्तिका लिखनी पड़ी। हालाँकि मैंने बाबा साहिब जी के जीवन और मूल संदेशों को इसमें कुछ हद कर संग्रहित करने का प्रयास किया है परंतु फिर भी जैसा कि मैंने ऊपर लिखा है कि बहुत से कारणों से मैं बहुत सी बातें इस पुस्तक में लिख नहीं पाया। परंतु पाठक मेरी अगली पुस्तक “बाबा साहिब डॉ. आंबेडकर जी की सम्पूर्ण कथा” में वह बातें जान सकते हैं। इस पुस्तक में किसी जाती विशेष का नाम किसी दुर्भावना के नहीं डाला गया है। इस पुस्तक में ब्राह्मण और वैश्य शब्दों के लिए क्रमशः बामन या बामण और बनिया या बणिया शब्द प्रयोग किए गए हैं। पाठक पुस्तक को नाकारात्मक भाव से न पढ़ें। यह पुस्तक भारत के उस महान पुत्र का सन्देश है जिसने इस राष्ट्र को एक ‘महान राष्ट्र’ बनाने में अपना जीवन लगा दिया। 

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