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बुद्ध का पथ, लेखक निखिल सबलानिया Buddha ka Path by Nikhil Sablania

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200.00

भगवान बुद्ध के धम्म को ऑडियो, वीडियो एवं पुस्तकों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाने के लिए ही इस पुस्तक की कीमत अधिक रखी गई है। इससे आप सीधा धम्म प्रचार के लिए सहयोग करेंगे। निखिल सबलानिया जी ने कई वर्षों तक न केवल बौद्ध धम्म का अध्ययन ही किया पर साथ ही बुद्ध के पथ का भी यथासंभव अनुसरण किया। वह कहते हैं कि हालाँकि बुद्ध का पथ सरल लगता है, पर जीवन की जटिलताओं और समस्याओं के बीच बुद्ध के पथ पर डटे रहना एक चुनौती है। जीवन युद्ध है और बुद्ध का पथ इस युद्ध के अंत का समाधान है। पर जीवन का यह युद्ध यह हर क्षण खत्म हो कर फिर प्रारम्भ हो जाता है। और बुद्ध का पथ ही इस युद्ध को नियंत्रित रख सकता है। वह स्वयं स्वीकारते हैं कि ऐसे कई क्षण आते हैं जब उनके लिए भी धम्म पर पूरा अनुसरण करना असंभव हो जाता है। लेकिन फिर भी जहाँ तक और जितना भी अनुसरण वह कर पाते हैं वह कल्याणकारी और शुभ (अच्छा) ही होता है। 2012 से निखिल सबलानिया बुद्ध के धम्म का प्रचार कर रहे हैं। उनका मानना है कि स्वयं पर बौद्ध होने की पहचान लगाने से बेहत्तर है कि बुद्ध की शिक्षाओं पर अमल किया जाए। बुद्ध का पथ सभी के लिए है। बुद्ध ने अपने धम्म और संघ के द्वार सभी के लिए खोले थे। इसलिए उनकी शिक्षाएं पृथ्वी का कोई भी व्यक्ति ले सकता है और उन पर अमल करके अपना कल्याण कर सकता है। इसलिए आप भी इस पुस्तक की कीमत को मात्र कीमत न मान कर, आपका बौद्ध शिक्षा के लिए किया प्रचार ही मानें। मात्र एक हजार रुपये से आप भगवान बुद्ध के ढाई हजार वर्ष पूर्व लोक कल्याण के विचारों को जन मानस के कल्याण के लिए न केवल आज बल्कि भविष्य के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।

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पुस्तक – बुद्ध का पथ, ऐसी कई भ्रांतियों के उत्तर देती है जो भगवान बुद्ध और उनके धम्म के बारे में दुष्प्रचार किए जाते हैं। यह उत्तर बौद्ध ग्रंथों एवं बौद्ध दर्शन पर आधारित हैं। हर वह व्यक्ति जो बुद्ध और उनके धम्म के बारे में दुष्प्रचार का शिकार हुआ कई संशय अपने मन में रखता है, उसे यह पुस्तक भेंट करें। इससे सार्थक धम्म दान शायद ही कोई अन्य होगा। आपके संबंधियों को भी यह पुस्तक भेंट करके उन्हें बुद्ध और उनके दुष्प्रचार का शिकार बनने से बचा सकते हैं। विवाह, जन्मोत्सव, किसी उत्सव, व त्यौहार पर भी इस पुस्तक को भेंट करके समाज को एक सही व सकारात्मक दृष्टि दे सकते हैं। स्कूल व कॉलेज के छात्रों में इसका वितरण करके उन्हें बुद्ध और उनके धम्म के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं। इससे पहले निखिल सबलानिया ने पुस्तक – डॉ. आंबेडकर और बौद्ध धम्म, लिखी थी जिसमें डॉ. आंबेडकर जी के 1956 में दिए धम्म दीक्षा के भाषण के साथ बौद्ध संस्कृति जैसे कि बौद्ध त्यौहारों, संस्कारों, धम्म स्थलों व प्रमुख सूत्रों के बारे में बताया है। आंबेडकर जी की लघु जीवनी और उनके प्रमुख संदेशों पर पुस्तक – बाबा साहिब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की अमर कथा, को भी निखिल सबलानिया ने लिखा था और 2019 तक इसकी चार हजार प्रतियां बिक चुकी थी। वे डॉ. आंबेडकर जी की तीन अन्य पुस्तकों के अनुवाद भी कर चुके हैं – जाति का संहार, भारत में जातियां व शूद्र कौन थे? उनका एक लघु उपन्यास भी है – ‘दलित की गली’। इस पुस्तक की कीमत अधिक इसलिए है क्योंकि बौद्धिक कार्य में हमें आपका आर्थिक सहयोग प्राप्त हो सके।

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