दलित की गली, लेखक निखिल सबलानिया Dalit ki Gali by Nikhil Sablania
अकालपनिक लघु उपन्यास – दलित की गली, 2012 में प्रारंभ किया गया गया था जिसे 2018 में पूरा किया गया और धन के अभाव व कोरोनावायरस के चलते इसका प्रकाशन रुका। पर अब दस वर्षों के संघर्ष के बाद इसे प्रकाशित किया जा रहा है। यह सत्य घटनाओं पर आधारित है जो दिल्ली की एक बहुसंख्यक दलित काॅलोनी में दलितों के जीवन का दर्द बताता है। दिल्ली में दलितों के साथ हुए राजनितिक षड्यंत्रों की विवेचना भी करता है। दिल्ली के बहुसंख्यक अनुसुचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्गों और गरीब मुसलमानों को कैसे झुग्गी झोपड़ी (जे. जे.) काॅलोनियों, जैसे मंगोल पुरी, सुल्तान पुरी, मंगोल पुरी, ज्वाला पुरी, डॉ. अम्बेडकर नगर, त्रिलोक पुरी, पांडव नगर आदि में बसाने के नाम पर 1947 के बाद कैसे आर्थिक दोहन किया गया, इस विषय पर प्रकाश डाला गया है। हमारी यह इच्छा है कि इस पुस्तक का इन काॅलोनियों में फ्री वितरण किया जाए। इस बौद्धिक कार्य के लिए कम कीमत पर पुस्तकें खरीद कर वितरण कराने के लिए हमसे संपर्क करें। डाॅ. आंबेडकर जी की लघु जीवनी और उनके प्रमुख संदेशों पर पुस्तक – बाबा साहिब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की अमर कथा, को भी निखिल सबलानिया ने लिखा था और 2019 तक इसकी चार हजार प्रतियां बिक चुकी थी। वे डॉ आंबेडकर जी की तीन अन्य पुस्तकों के अनुवाद भी कर चुके हैं – जाति का संहार, भारत में जातियां व शूद्र कौन थे? इस पुस्तक की कीमत अधिक इसलिए है क्योंकि बौद्धिक कार्य में हमें आपका आर्थिक सहयोग प्राप्त हो सके।