शूद्र कौन थे? – डॉ. बी.आर. अम्बेडकर जी का एक नायाब रत्न – निखिल सबलानिया

शूद्र कौन थे? – डॉ. बी.आर. अम्बेडकर जी का एक नायाब रत्न – निखिल सबलानिया

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर जी की पुस्तक – शूद्र कौन थे? और वे इंडो आर्यन सोसाइटी में चौथे वर्ण कैसे बने? का अनुवाद करते समय, पुस्तक के विषय पर उनका असाधारण शोध देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया।

सात साल पहले मैंने डॉ. अम्बेडकर जी की एक पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद करना शुरू किया। मेरा पहला आश्चर्य केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित प्रसिद्ध हिंदी खंड (वॉल्यूम या वांग्मय) थे। उनका हिन्दी अनुवाद विसंगतियों और गलतियों से भरा था। कई जगहों पर अर्थ ही बदल दिया गया था। इससे मुझे मूल पुस्तक के साथ अधिक समय बिताने का अवसर मिला। और फिर एक और आश्चर्य हुआ। यह एक असाधारण पुस्तक है। इस पुस्तक को लिखने के लिए उन्होंने गहन शोध किया था। मुझे यकीन है कि उनका शोध अकेला नहीं भी है, तो दुर्लभ जरूर है। क्या कभी किसी लेखक ने शूद्र कहे जाने वाले लोगों पर इतना गहन शोध किया है? मुझे यकीन है कि ऐसों को उंगलियों पर गिना जा सकता है।

इसी प्रकार यह पुस्तक भी दुर्लभ रत्न है। डॉ. अम्बेडकर जी की कलम का एक रत्न। ऋग्वेद, अथर्ववेद, वाल्मिकी रामायण, महाभारत, अर्थशास्त्र, शतपथ ब्राह्मण, तैत्रीय ब्राह्मण, गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और आप किसी भी प्राचीन हिंदू ग्रंथ का नाम लें, आपको उसका नाम इस ग्रंथ में मिल जाएगा। शायद ही इस विषय से सम्बंधित कोई हिंदू ग्रंथों में सन्दर्भ हो जो उन्होंने अपने शोध में छोड़ा हो। प्राचीन हिंदू ग्रंथों में शायद ही कोई प्रासंगिक कहानी हो जो उन्होंने छोड़ी हो। प्राचीन हिंदू ग्रंथ और कहानियां सिर्फ आखिरी नहीं हैं, बल्कि इस किताब में कई दिलचस्प बातें भी हैं।

मुझे अत्यंत आश्चर्य हुआ, कि पुस्तक में उन्होंने उस समय तक के लगभग सभी प्रसिद्ध मानवविज्ञानियों का संदर्भ दिया। प्रोफेसर विलियम ज़ेड रिप्ले, जो न केवल मानवविज्ञानी थे, बल्कि एक महान अर्थशास्त्री, अमेरिका में रेलवे योजना के संस्थापक, आठ घंटे काम करने के समर्थक और अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज के मुखर आलोचक थे, को उनकी विश्व प्रसिद्ध पुस्तक, यूरोप की नस्लें, से विभिन्न स्थानों पर उद्धृत किया गया है। फ्रांसीसी चिकित्सक और मानवविज्ञानी पॉल टोपिनार्ड, 19वीं शताब्दी के एक अन्य अग्रणी और अपराध शास्त्र के संस्थापक, को विभिन्न स्थानों पर उद्धृत किया गया है। यह वही थे जिन्होंने एक अन्य मानवविज्ञानी सर हर्बर्ट होप रिस्ले को प्रभावित किया, जिन्होंने 1885 में बंगाल के नृवंशविज्ञान सर्वेक्षण नामक एक परियोजना का संचालन किया, और बाद में भारत में 1901 की जनगणना के प्रभारी थे। हंगेरियन मानवविज्ञानी कैरोली उज्जफाल्वी वॉन मेज़कोवेस्द और कई अन्य मानवविज्ञानियों को इस विषय पर संदर्भित किया गया है। प्रसिद्ध इतिहासकारों की सूची भी ऐसी ही है।

अनुवाद करते समय मैं सोच रहा था कि ऐसी किताब को तो भारत के स्कूलों और कॉलेजों में पाठय पुस्तक के रूप में होना चाहिए। क्योंकि यह हिंदू प्राचीन ग्रंथों का एक सार है। एक ही किताब में प्राचीन हिंदू ग्रंथों के विशाल सागर में झांका जा सकता है। और उन मानवविज्ञानियों को भी जान सकते हैं जिन्होंने आधुनिक समाज की नींव रखी है। क्या हम इस पुस्तक को रत्न नहीं कह सकते? डॉ. अम्बेडकर का एक अनमोल रत्न।

इस पुस्तक पर की गई डॉ. अम्बेडकर जी की शोध ने मुझे इतना प्रेरित किया कि मैं इस पुस्तक का एक विशेष संस्करण प्रकाशित करूंगा। यह नया संस्करण हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित किया जाएगा। इसमें पुस्तक में उल्लिखित मानवविज्ञानियों और इतिहासकारों का संदर्भ होगा। इससे लोगों को इन अग्रदूतों के बारे में और अधिक जानने में मदद मिलेगी। हिंदी पाठकों के लिए यह उनके लिए लुप्त हो चुके समय के इतिहास में एक डुबकी होगी। उनके पास शायद ही कोई ऐसी किताब हो जो न केवल आधुनिक मानवविज्ञानियों का बल्कि उनकी अपनी प्राचीन सभ्यता का भी संक्षिप्त परिचय देती हो। इस रत्न के बारे में और क्या कहना है? मेरे पास शब्द नहीं हैं। लेकिन फ़िलहाल बहुत काम बाकि है।

लेकिन आपको इतिहास के इस उत्कृष्ट कार्य को फिर से बनाने में समर्थन करना होगा। आपका समर्थन बड़े दिल और महान दृष्टिकोण के साथ होना चाहिए। ऐसे किसी उद्देश्य का समर्थन करना जीवन में एक मील का पत्थर हासिल करने के समान है। इस लिंक https://rzp.io/i/gYtfcbN के माध्यम से आप दान भेज सकते हैं, जो मैंने दस हजार रुपये तय किया है, और इस संस्करण के अनुवाद और प्रकाशन के लिए अपना विस्तारित समर्थन दे सकते हैं। डॉ. अम्बेडकर के मूल पाठ को बदला नहीं जायेगा। पुस्तक के अंत में अतिरिक्त सामग्री जोड़ी जाएगी। मुझे आशा है कि आप इस कार्य की प्रासंगिकता को समझेंगे और इसका समर्थन करेंगे।

और जो लोग सोचते हैं कि दान व्यर्थ हो सकता हैं वे हमसे ओ.बी.सी. साहित्य + डॉ. अम्बेडकर जी की लिखित 125 पुस्तकों का सैट इस लिंक https://www.nspmart.com/product/obcambedkar/ पर जाकर ऑर्डर कर सकते हैं

अधिक जानकारी के लिए कॉल करें
M. 8527533051,
M. 8851188170 या
WA. 8447913116
ईमेल: sablanian@gmail.com प्रकाशक – निखिल सबलानिया प्रकाशन, दिल्ली।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
0Shares