पूंजीवाद में क्या बुराई है? – निखिल सबलानिया

आप में से बहुत सारे लोगों ने राहुल गांधी द्वारा यह कहते हुए सुना होगा कि देश को बड़े पूंजीपतियों ने लूट डाला। दोस्तों, इससे आगे मैं कुछ और लिखूं, आपको मैं दो तरह के पूंजीपतियों का फर्क बताना चाहता हूं।

हर पूंजीपति बुरा हो, या हर पूंजीपति देश को लूटता हो, ऐसा नहीं है। जो पूंजीपति फैक्ट्री निर्माण करता है, उद्योग को बड़ी पूंजी लगाकर करता है, वह लूटने का जरिया ढूंढ लेता है। पूंजी तो होनी चाहिए। पूंजी न हो तो जीवन बहुत मुश्किल है। लेकिन, अब ये दो पूंजी वाले हैं। इन में से ठीक कौनसा है और बुरा कौनसा है? ये समझने की जरूरत है। मान लीजिए, एक आदमी को कुछ संपत्ति रूप से चार मकान मिले, और वह चार मकान का किराया खा रहा है, यह आदमी संपत्तिजीवी कहलाएगा, लेकिन पूंजीपति वह वाला नहीं कहलाएगा जो लूट रहा है।

लेकिन, एक आदमी ने मान लीजिए, बिस्कुट की फैक्ट्री लगा दी, जिससे एक एरिया में काम करने वाले लाखों बिस्कुट निर्माता या बेकरी वाले बेरोजगार हो जाते हैं। इस तरह का जो पूंजीपति होता है, वह बुरा होता है। वह देश को लूटता है। पूंजीपतियों का एक जो औजार है देश को लूटने का, आपकी संपत्ति को लूटने का, वह है श्रम का विभाजन, डिविजन ऑफ लेबर, कि कैसे वह आपकी मेहनत को टुकड़ों-टुकड़ों में करके इस तरह विभाजित कर देता है कि एक तरफ तो आप किसी और काम के लायक भी नहीं रहते हैं, आपका मनोबल टूट जाता है, आपका हुनर खत्म हो जाता है और आप आश्रित बन जाते हैं उसके ऊपर।

दोस्तों, इसी चीज को समझाने के लिए मैंने यह क्रांतिकारी पुस्तक लिखी है। यह पुस्तक मूलतः कार्ल मार्क्स के एक लेख से है, लेकिन उसको मैंने बहुत ही सरल हिंदी में समझाया है और साथ में उसकी पूरी व्याख्या की है। साथ में, इस पुस्तक के अंदर जो टिप्पणियां हैं, उन टिप्पणियों के अंदर आपको उन सब महान अर्थशास्त्रियों के बारे में भी पढ़ने को मिलेगा, जिनका कार्ल मार्क्स खुद अध्ययन करते थे।

मैं यहां तक कैसे पहुंचा? यह बात आपको समझा देता हूं। कार्ल मार्क्स ने एडम स्मिथ का समीक्षा करी। असल में एडम स्मिथ राजनीतिक अर्थशास्त्री थे, और डॉ. अंबेडकर जी ने एडम स्मिथ को पढ़ा था। एडम स्मिथ की कई बातें ठीक थीं, पर, कार्ल मार्क्स, कई बातों से इत्तेफाक नहीं रखते थे। इसलिए, उन्होंने यह पुस्तक लिखी थी।

तो, दोस्तों, यह क्रांतिकारी पुस्तक है। आप इसे पढ़ेंगे, तो न केवल आपको पूंजिवाद के दुष्परिणाम ही पता लगेंगे, बल्कि साथ ही आपको किस तरह से जीवन में काम करने हैं, ये भी समझ में आएगा। बहुत मेहनत से यह किताब लिखी है। एक कॉपी खरीदें और पढ़िए, थोड़ा पैसा लगाइए, थोड़ा समय दीजिए, क्योंकि अगर आप जीवन में कुछ करना चाहते हैं, तो सही नॉलेज लें, जो कि बहुत कम मिलती है। मैंने बरसों लगाकर आपके लिए ये ज्ञान इकट्ठा किया है। जय भीम, निखिल सबलानिया। नीचे दिए गए लिंक से ऑर्डर करें और पढ़े, धन्यवाद।

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